दीपावली मेला 2025

दीपावली मेला 2025: सचेत–परंपरा के संग संगीत और रोमांच से झूम उठा उदयपुर

उदयपुर। दीपावली मेला 2025 (Diwali Fair 2025) अपने पूरे रंग और उल्लास के साथ चल रहा है। मंगलवार की शाम नगर निगम द्वारा आयोजित टाउन हॉल में मशहूर गायक जोड़ी सचेत टंडन और परंपरा ठाकुर ने मंच संभाला और हॉल तालियों, हूटिंग और दर्शकों के उत्साह से गूंज उठा। यह म्यूजिकल नाइट न केवल संगीतप्रेमियों के लिए, बल्कि पूरे उदयपुरवासियों के लिए यादगार बन गई।

दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की भव्य शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना, मेला अधिकारी दिनेश मंडोवरा और अन्य गणमान्य अतिथियों ने मां सरस्वती और गणपति की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की। यह एक आध्यात्मिक और मंगलमय संकेत था, जिसने दर्शकों के उत्साह को दोगुना कर दिया।

जैसे ही सचेत–परंपरा मंच पर आए, दर्शकों ने मोबाइल फ्लैशलाइट्स के साथ उनका स्वागत किया। हूटिंग और तालियों की गूंज ने पूरे हॉल को जीवंत बना दिया और माहौल उत्साहपूर्ण हो गया।

सुपरहिट गानों से झूम उठा सभागार

सचेत टंडन और परंपरा ठाकुर ने अपने सुपरहिट गाने “रंजन रंजन” से शुरुआत की। इसके बाद “बेख्याली में भी तेरा ही ख्याल आए” ने दर्शकों के दिलों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

भक्ति गीतों का भी आनंद लिया गया। “शिव तांडव” और “राम सिया राम” जैसे भक्ति और आध्यात्मिक गानों ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

सदाबहार रोमांटिक गानों पर भी दर्शक झूम उठे, जिनमें शामिल हैं:

  • “पल पल दिल के पास”
  • “गुलाबी आंखें जो तेरी देखी”
  • “बाबूजी धीरे चलना”

युवाओं ने अपने मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट्स ऑन कर पूरे हॉल को रोशन कर दिया। हर धुन पर जैसे दिलों की धड़कनें ताल से ताल मिला रही थीं।

सचेत–परंपरा: बॉलीवुड की लोकप्रिय संगीत जोड़ी

सचेत–परंपरा ने बॉलीवुड में अपनी विशेष पहचान बनाई है। इन्होंने कई हिट फिल्मों के लिए संगीत दिया है, जैसे:

  • कबीर सिंह
  • टॉयलेट: एक प्रेम कथा
  • बत्ती गुल मीटर चालू
  • यमला पगला दीवाना फिर से
  • पल पल दिल के पास

2015 में द वॉइस इंडिया के पहले सीज़न से उन्होंने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। अपनी अनोखी आवाज़ और नई संगीत शैली के कारण यह जोड़ी युवाओं के बीच खास लोकप्रिय हो गई है।

कार्यक्रम के दौरान सचेत और परंपरा ने कहा:
“उदयपुर दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। यहां की फिज़ा, यहां के लोग और यहां की ऊर्जा हमें हमेशा अपनी ओर खींचती है। यह शहर हमें अपना सा लगता है।”

दोनों कलाकार इससे पहले भी उदयपुर में निजी कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके हैं।

अशोक गंधर्व की ऊर्जावान प्रस्तुति ने बढ़ाया उत्साह

शाम की शुरुआत इंडिया फेक्टर फेम गायक अशोक गंधर्व की ऊर्जावान प्रस्तुतियों से हुई। उनके गानों ने पूरे हॉल को उत्साह से भर दिया और तालियों तथा सीटियों की गूंज से माहौल जीवंत हो गया।

नगर आयुक्त अभिषेक खन्ना ने बताया कि सचेत–परंपरा को सुनने-सुनने के लिए दर्शकों का उत्साह इतना था कि कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही टाउन हॉल खचाखच भर गया। सुरक्षा कर्मियों ने भीड़ को व्यवस्थित किया और सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम में कोई रुकावट न आए।

सचेत–परंपरा का संदेश: मेहनत, अनुशासन और समर्पण

संगीत यात्रा पर चर्चा करते हुए सचेत–परंपरा ने कहा कि उनका संगीत से लगाव बचपन से रहा है, लेकिन द वॉइस इंडिया ने उनके हुनर को परिपक्व किया।

सचेत ने कहा:
“कोई भी कलाकार गुरु के बिना पूर्ण नहीं हो सकता। गुरु का ज्ञान ही सफलता की कुंजी है।”

दोनों कलाकारों ने युवाओं को नशे से दूर रहने, कड़ी मेहनत करने और समर्पण के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी।

भारत में संगीत का बदलता स्वरूप

परंपरा ठाकुर ने कहा कि आज के कलाकार पहले से अधिक तैयारी और अभ्यास के साथ मंच पर आते हैं।
“पहले कलाकारों को मंच निखारता था, अब कलाकार मंच को निखार रहे हैं। भारत में कई प्लेटफ़ॉर्म हैं जो किसी भी हुनरमंद को ‘जीरो से हीरो’ बना सकते हैं।”

भक्ति संध्या और आने वाले कार्यक्रम

मेला अधिकारी दिनेश मंडोवरा ने बताया कि दीपावली मेले के पांचवें दिन, बुधवार को भक्ति संध्या आयोजित की जाएगी। इस कार्यक्रम में लखबीर सिंह लक्खा और स्वाति मिश्रा दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।

भजनों जैसे:

  • “ओ लाल मेरी पत”
  • “तेरी हो जाएगी बलिहारी”

से हॉल को भक्तिमय वातावरण मिलेगा।

उदयपुर का दीपावली मेला: संस्कृति, लोक परंपरा और आधुनिक कला का संगम

उदयपुर का दीपावली मेला हर साल शहर की सांस्कृतिक विरासत, लोक परंपरा और आधुनिक कला का प्रतीक बनता जा रहा है। इस वर्ष का मेला न केवल मनोरंजन का उच्च स्तर प्रस्तुत करने में सफल रहा, बल्कि यह साबित कर दिया कि उदयपुर केवल झीलों और महलों का शहर नहीं, बल्कि संगीत, संस्कृति और कला का शहर भी है।

दीपावली मेला 2025 ने यह संदेश दिया कि संगीत, उत्साह और सामूहिक आनंद के माध्यम से शहर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा जा सकता है।

Divya Soni
Divya Soni