जहां से भक्तों को मिलता था पैसा उधार



उदयपुर (गणेश चतुर्थी 2025):
देश-प्रदेश में बुधवार को गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जा रही है। उदयपुर में भगवान श्री बोहरा गणेशजी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। हजारों साल पुराना यह मंदिर अपने इतिहास और परंपरा के लिए दुनियाभर में विख्यात है।
गणेश चतुर्थी पर भगवान गजानन का विशेष शृंगार किया गया। मंदिर के पुजारी पीयूष ने बताया कि उदयपुर शहर के बीचोंबीच स्थित यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पूर्व महाराणा मोखल सिंह के शासनकाल में स्थापित हुआ था।

मंदिर की मान्यता
- यहां विराजित गणेश भगवान को “पैसा उधार देने वाले भगवान” के रूप में जाना जाता है।
- मान्यता है कि बोहरा गणेशजी के दरबार में शीश नवाकर कार्य करने से वह निश्चित रूप से सिद्ध होता है।
- भक्तों को कभी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
इतिहास और विशेषता
उदयपुर की स्थापना के साथ ही बने इस मंदिर के चमत्कार निराले बताए जाते हैं। मेवाड़ संभाग के हर कोने से भक्त यहां आकर शुभ कार्यों से पहले दर्शन करते हैं।
“बोहरा गणेशजी” नाम क्यों पड़ा?
पुजारी पीयूष के अनुसार:
- पुराने समय में जरूरतमंद लोग घर के शुभ कार्यों के लिए भगवान से पैसे उधार मांगते थे।
- भगवान गणेश उन्हें निश्चित समय के लिए पैसे उधार देते थे।
- कार्य पूरा होने के बाद भक्त समय पर पैसा वापस कर देते थे।
- पुराने जमाने में पैसे उधार देने वाले को “बोरा” कहा जाता था।
- इसी से धीरे-धीरे नाम पड़ा – “बोहरा गणेशजी”।
अब नहीं मिलता पैसा, पर परंपरा कायम
- समय के साथ पैसे उधार देने की परंपरा बंद हो गई।
- आज भी शुभ कार्यों के लिए भक्त गणेशजी की प्रतिमूर्ति इस मंदिर से अपने घर ले जाते हैं।
- विशेष पूजा-विधि और निमंत्रण के साथ प्रतिमा को घर या सामाजिक कार्यस्थलों पर ले जाया जाता है।
- कार्य पूरा होने पर पुनः विधि-विधान से प्रतिमा को मंदिर में लौटा दिया जाता है।
निष्कर्ष
बोहरा गणेशजी मंदिर न सिर्फ उदयपुर बल्कि पूरे मेवाड़ संभाग की आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले भक्त मानते हैं कि उनकी हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन के शुभ कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न होते हैं।