
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में सोने की खोज ने आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य बदलने की दिशा में एक बड़ी उम्मीद जगा दी है। घाटोल तहसील के कांकरिया गांव में भूविज्ञान विभाग (Geology Department) ने राज्य का तीसरा और अब तक का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार खोजा है। शुरुआती अनुमान के अनुसार, इस भंडार में लगभग 222 टन शुद्ध सोना मौजूद है, जो बांसवाड़ा को भारत के प्रमुख खनन केंद्रों में शामिल कर सकता है।
खोज और अनुमानित आंकड़े
कांकरिया गांव में 3 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में सोने की उपस्थिति पाई गई है। भूविज्ञान विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार:
- क्षेत्रफल: 940.26 हेक्टेयर
- कुल स्वर्ण अयस्क (Gold Ore): 11.352 करोड़ टन
- शुद्ध सोना (Gold Metal): लगभग 222.39 टन
इसके अलावा, कांकरिया-गारा ब्लॉक के 205 हेक्टेयर क्षेत्र में भी 1.24 मिलियन टन सोने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस खदान से अन्य मूल्यवान सह-खनिज (Co-minerals) भी प्राप्त होंगे।
बांसवाड़ा में खनन का भविष्य

बांसवाड़ा के घाटोल क्षेत्र में पहले भी जगपुरा और भूकिया में सोने के भंडार की पुष्टि हो चुकी है। अब कांकरिया खोज के साथ यह जिला देश में सोने का एक प्रमुख उत्पादन केंद्र बनने की राह पर है।
नीलामी और खनन प्रक्रिया:
- भूकिया-जगपुरा ब्लॉक: पहले की नीलामी रद्द हो चुकी थी। अब नए टेंडर जारी किए गए हैं। बोलियां 3 नवंबर को खोली जाएंगी।
- कांकरिया-गारा ब्लॉक: नीलामी 3 अक्टूबर को पुनः घोषित की गई। सरकार के अनुसार लाइसेंस मिलने के तुरंत बाद खनन गतिविधियां शुरू हो जाएंगी।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- राजस्व वृद्धि: राज्य सरकार को भारी राजस्व लाभ होगा।
- निवेश आकर्षण: इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोकेमिकल्स, बैटरी और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में निवेश बढ़ सकता है।
- रोजगार: आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा के युवाओं के लिए लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांसवाड़ा अब पारंपरिक कृषि क्षेत्र से औद्योगिक केंद्र में बदलने की क्षमता रखता है। यह खोज 2017-18 में पाए गए भंडार (11.48 करोड़ टन अयस्क) से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
भूविज्ञान विभाग का कहना है कि इस खोज के बाद विस्तृत सर्वेक्षण और अधिक सोने की संभावनाओं की खोज के प्रयासों को और तेज किया जाएगा।







